बरसों से हूं बेचैन, अब साथ नहीं हो तुम, फिर ऐसा क्यों लगता है,जहां मैं हूं वही हो तुम, क्या करूं मैं अपनी इन उंगलियों को, किसी की भी तस्वीर बनाऊं, तुम्हारी बन जाती है यह सिर्फ मेरा पागलपन है, या तुम भी मेरे लिए पागल थी
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By-----Mr.R.K.Sharma
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By-----Mr.R.K.Sharma
बरसों से हूं बेचैन, अब साथ नहीं हो तुम, फिर ऐसा क्यों लगता है,जहां मैं हूं वही हो तुम, क्या करूं मैं अपनी इन उंगलियों को, किसी की भी तस्वीर बनाऊं, तुम्हारी बन जाती है यह सिर्फ मेरा पागलपन है, या तुम भी मेरे लिए पागल थी
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